Har Waqt Rona Tha
आसुओं के #सफ़र में आँखों को बस हर लम्हा नम होना था,
ये #सफ़र तुझसे शुरु और तुझ पे ही खत्म होना था...
किससे कहते और किसको ज़ताते अपना #प्यार यारों,
मुकद्दर में लिखा अपने हर व़क्त हर लम्हा रोना था...
आसुओं के #सफ़र में आँखों को बस हर लम्हा नम होना था,
ये #सफ़र तुझसे शुरु और तुझ पे ही खत्म होना था...
किससे कहते और किसको ज़ताते अपना #प्यार यारों,
मुकद्दर में लिखा अपने हर व़क्त हर लम्हा रोना था...
हर ग़म से गुज़रा हूँ, अब खुशियों का इंतज़ार नहीं
अब तक ज़िंदा हूँ मगर, अब जीने की दरकार नहीं
मैं तो मुरझाया फूल हूँ उजड़े हुए चमन का, मगर
चुभन से भर दूँ मैं किसी का दामन, मैं वो खार नहीं
दुनिया के बाजार में तो बिकता है सब कुछ मगर
मैं तो नाकाम चीज़ हूँ ऐसी, कि जिसका खरीदार नहीं
ये मतलब के नाते रिश्ते बड़े क़रीब से देखे हैं मगर
यहां पै किसी के दर्दो ग़म से, किसी को सरोकार नहीं
जानता हूँ कि अतीत के लिए रोना बेमानी है मगर,
क्या करूँ “मिश्र” इस दिल पै, मेरा कोई इख़्तियार नहीं...
जिनके लिये दुनिया में, हम बदनाम हो गये
उनके दिल की हर बात पर, कुर्बान हो गये
जब देखा की अब उनके लिये बेकार हैं हम,
तब उनके लिये हम, कचरे का सामान हो गये
क्या करें ये दुनिया बड़ी ही बे रहम है दोस्तो,
इश्क़ में खा के ठोकरें, हम लहू लुहान हो गये
बहुत जंग हारे हैं हम वफाओं के नाम पर,
खुदाया हम तो इस दुनिया से, परेशान हो गये...
मेरी ज़िंदगी ही अजीब है, और को क्या कोसना
जब ज़ख्म पाये अपनों से, गैरों को क्या कोसना
यादों के ऊंचे ढेर में दब गये अफसाने अपनों के,
मुश्किल से भूल पाये हैं, फिर से उन्हें क्या खोजना
सब को पता होती है अपने चेहरों की हकीकत,
कुछ भी न बदलेगा यारो, फिर आईना क्या पोंछना
वैसे भी क्या कमी है नये ज़ख्मों की आज कल,
जो भर चुके हैं घाव तो, फिर से उन्हें क्या नोचना...