कोई तो मेरे वजूद को, ठुकरा कर चला गया
और कोई झूठी ख्वाहिशें, जगा कर चला गया
कोई तमाशा देखता रहा दूर से ही खड़ा खड़ा,
तो कोई दिल का दीया, बुझा कर चला गया
अफ़सोस हम यूं ही बनाते रहे रिश्ते पे रिश्ते,
पर वक़्त पे हर कोई, सर झुका कर चला गया
कहते थे कभी हम जिसे खून का रिश्ता,
वक़्त पर वो भी, खून को भुला कर चला गया...
जिस दिन से उनसे दूर हुए, हमने तो हँसना छोड़ दिया
हो कर रह गए दीवारो में क़ैद, बाहर निकलना छोड़ दिया
जब तक वो थे मेरे क़रीब दिल की कली मुस्काती थी
गुलशन में अब क्या रखा है, फूलों ने महकना छोड़ दिया
कितनी मुद्दत गुज़र गयी अब तो कुछ भी याद नहीं,
यादों का कारवां गुज़र गया, आँखों ने छलकना छोड़ दिया
देखी हैं गज़ब की रुसबाईं बेचारे इस #दिल ने भी
वो सोच सोच कर हार गया, उसने भी मचलना छोड़ दिया...
उनको यूं भुला पाना भी नामुमकिन है
उनके बिन जी पाना भी नामुमकिन है
वक़्त नहीं उनके पास अब हमारे लिए
अपने ग़म बता पाना भी नामुमकिन है
दिल पे लगा रखे हैं हज़ार पहरे उसने
हक़ीक़त समझ पाना भी नामुमकिन है
यूं तो ख़्वाबों से नाता ही टूट गया अब
क्योंकि अब नींद आना भी नामुमकिन है
अभी तो लम्बा सफर पड़ा है #ज़िन्दगी का
लगता है उसे काट पाना भी नामुमकिन है...
इस उम्मीद से मत फिसलो, कि तुम्हें कोई उठा लेगा
सोच कर मत डूबो दरिया में, कि तुम्हें कोई बचा लेगा
ये दुनिया तो एक अड्डा है तमाशबीनों का दोस्त,
गर देखा तुम्हें मुसीबत में तो, यहां हर कोई मज़ा लेगा...