जिन पर लुटा दीं हमने, बिना हिसाब दौलतें
उन्होंने दो गज़ कफ़न भी, हमें नाप कर दिया
जिन्होंने अब तलक हमें अपने नाम से जाना
उन्होंने बदल कर मेरा नाम, अब लाश कर दिया
बचाते रहे हमेशा जिन्हें, हर तपिश से हर कदम
उन्होंने चंद लम्हों में, जला कर ख़ाक कर दिया
बरकरार थीं सांसें तब तक, अनेकों थे रिश्ते "मिश्र"
पर बाद मरने के सभी ने, गुज़री हुई रात कर दिया
वो रोए तो बहुत, पर मुझसे मूह मोड़ कर रोए,
कोई मजबूरी होगी तो #दिल तोड़ कर रोए...
मेरे सामने कर दिए मेरे तस्वीर के टुकड़े,
पता चला मेरे पीछे वो उन्हे जोड़ कर रोए...
गले से ग़मों को न लगाएं तो क्या करें
यूं रात दिन आंसू न बहाएं तो क्या करें...
उन्हें अंधेरों से सख्त नफ़रत है दोस्तों,
अगर #दिल अपना न जलाएं तो क्या करें...
जुर्म किया है कि #मोहब्बत कर बैठे हम,
अगर उसे दिल से न निभाएं तो क्या करें...
हमें #गम नहीं कि वो #बेवफा हो गए,
अगर हम भी वफ़ा न निभाएं तो क्या करें...