हम किसे कहें और कौन सुनेगा, हम कैसे बर्बाद हुए
कैसे गुज़रीं वो काली रातें, और दिन कैसे बर्बाद हुए
मेरे #गुलशन के फूलों की वो खुशबू जाने कहाँ गयी,
हम कैसे बताएं दुनिया को, कि गुल कैसे बर्बाद हुए #महफ़िल में थे कितने चेहरे किस किसको याद रखूँ,
कुछ तो दिल में बैठ गए, कुछ दिल से आज़ाद हुए
बस तेरा मेरा के चक्कर में सारा जीवन निकल गया,
नहीं हमें कभी चैन मिला, और ना फिरसे आबाद हुए...
मैं तो इस दुनिया की, खुराफ़ात से डरता हूँ
अब तो मैं #दिल्लगी की, हर बात से डरता हूँ
दुनिया ने बख्शीश दी है सिर्फ आंसुओं की,
अब तो मैं ज़माने की, हर सौगात से डरता हूँ
इस #मोहब्बत ने दिल को तोडा है इस क़दर,
अब तो मैं मोहब्बत के, जज़्बात से डरता हूँ
मेरे बदनसीब की छाया न पड़े किसी पर भी,
अब तो मैं खुद के ही, बुरे हालात से डरता हूँ...
दीवानों की तरह हम, उनसे #प्यार किया करते थे
खुद से भी ज्यादा, उन पे ऐतबार किया करते थे
अब उस तरफ तो निगाह भी नहीं उठती हमारी,
जहाँ कभी हर रोज़, उनका इंतज़ार किया करते थे...
गनीमत हैं गैरों ने लूटा, यहां तो अपने लूट जाते हैं
जो बड़ी मुश्किल से बनते हैं, वो रिश्ते टूट जाते हैं
बंट जाते हैं टुकड़ों में ये खून के रिश्ते भी,
बचपन के वो प्यारे से किस्से, सब पीछे छूट जाते हैं...