Main Kyun Dil Chota Karu
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ...
कि वो बेवफा थी...
वो उतनी ही कर सकी वफ़ा,
जितनी उसकी औकात थी...!!!
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ...
कि वो बेवफा थी...
वो उतनी ही कर सकी वफ़ा,
जितनी उसकी औकात थी...!!!
उनके सारे ग़मों को, दिल में सजा लिया हमने
अपने मोम से #दिल को, पत्थर बना लिया हमने
खुशियों की आहट को जब जब भी सुना दूर से,
दिल पर उदासिओं का, पहरा लगा दिया हमने
रोशनी की कमीं न हो महसूस उनको कभी भी,
ज़रुरत पड़ी तो अपना ही, दिल जल दिया हमने
अफ़सोस कि हमें तज़ुर्बा न था #ज़िन्दगी जीने का,
बस औरों की आग मे, खुद को जला दिया हमने
ये कैसा अजीब सा #नसीब पाया है हमने भी यारो,
जो खंज़र लिए बैठे हैं, उन्हीं को दिल दे दिया हमने...
मेरी #तन्हाई पूछती है मुझसे,
बता आज कौन बिछड गया तुझसे,
क्या बताऊँ कि मेरा कोई साथी ही नही,
शायद आज #जुदा हो गया हूँ खुद से.!
ऐ #दोस्त..! अब तू ही बता
तुझे ऐसा करने की #जरुरत क्या थी ?
#चाहते तो हम भी खोल देते, #किताब अपने #दिल की....
मगर उसे #पढ़ने वालो को #फुरुसत नहीं थी..!!!
#नफरत इतनी मिली #उनसे यारों कि..
#जितनी मुझे अपने #दुश्मनों से भी नही थी..!!
कर देते #हम भी #बेवफाई उनसे उनकी तरह..
पर दोस्तो #फितरत #हमारी ऐसी नही थी..!!