अपने वज़ूद को ही, अंधेरों में छुपा लिया हमने
कमज़ोर दिल को, इक पत्थर बना लिया हमने
सोच कर कि खुशियों को हमारी दरकार नहीं,
बस ग़मों को अपना, हमसफ़र बना लिया हमने
न बुझती थी शमा जिस घर की रातों में कभी,
अब खुद का दिल जलाकर, दीया बुझा दिया हमने
जब रहमत न मिली हमें अपनों से कभी दोस्तों,
तो उनको भुला, गैरों को अपना बना लिया हमने
कैसे थे क़ातिल चले गए अधमरा छोड़ कर "मिश्र",
उन्हीं ज़ख्मों को, निशान ए वफ़ा बना लिया हमने
Choti si baat pe log rooth jate hain,
Haath unse anjane mein chhoot jate hain
Kehte hain bada nazuk hai apnepan ka #Rishta
isme haste haste bhi Dil toot jate hain.....
कुछ यार पुराने रूठ गए
मिलने के वादे टूट गए
ऐसा मुकद्दर मिला हमें,
अंदर से बिलकुल टूट गए
ईमान नहीं है लोगों में,
अपना बन कर लूट गए
अपनों ने वो रंग दिखलाये,
सब नाते रिश्ते छूट गए
जो देखे थे हमने वचपन से,
वो ख्वाब सुहाने टूट गए
हम जिनके दिल में रहते थे,
वो #दिल भी हमसे रूठ गए
“मिश्र” नहीं कुछ पता आज,
क्यों दिल के छाले फूट गए...
ढूढने से क्या मिलेगा, मेरे इस वीरान घर में
छा गए हैं ग़मों के जाले, मेरे इस वीरान घर में
सुकून के पल खोजने आये हो तो माफ़ करना,
अब न कुछ ऐसा मिलेगा, मेरे इस वीरान घर में
जब छोड़ कर भागे थे हमको याद है वो दिन,
हर तरफ है दर्द उसका, मेरे इस वीरान घर में
क्यों चले आये हो तुम बाद मुद्दत के इधर,
अरमान मेरे जल चुके हैं, मेरे इस वीरान घर में
न समझो चुप हैं तो कोई गिला शिकवा नहीं,
सिसकती है शामो सहर मेरे इस वीरान घर में
बचा है बस ज़रा सा तेल चराग़े बदन में “मिश्र”,
फिर अँधेरा ही अँधेरा है, मेरे इस वीरान घर में...