किसी से मोहब्बत हम, निभाएं तो कैसे निभाएं
हर तरफ हैं कांटे, खुद को बचाएं तो कैसे बचाएं #मोहब्बत हर किसी के मुक़द्दर में नहीं होती,
दिल में जीने की तमन्ना, जगाएं तो कैसे जगाएं
अब अपने भी साथ नहीं दिया करते अपनों का, #ज़िन्दगी के हसीन सपने, सजाएँ तो कैसे सजाएं
सोचते हैं कि डुबो दें दुनिया को ख़ुशी के रंग में,
मगर खुशियों के रंग, हम बनायें तो कैसे बनायें
बद्किस्मत हैं वो जो नफरतों का बोझ ढोते हैं,
उनके ज़िगर में, #प्यार को बसायें तो कैसे बसायें...
यारो कैसा ये इत्तेफ़ाक़ है, ये कैसा नसीब है,
होता है वही दूर, जो होता दिल के करीब है ! #दीदार के लिए तरस जाती हैं आँखें मगर,
वो मिलता है किसी और से, कैसा #नसीब है !
सोचा था कि आएगा हमसे ज़रूर मिलने,
आया था पर नहीं मिला, कितना अजीब है !
एक भूल कर बैठे कि गैर को अपना समझा,
पर गिर गया इतना वो नीचे, कैसा ज़मीर है !
दिल के नोंचने से भला क्या मिलेगा ?
बस सोच लो इतना कि, उसका बदनसीब है !
हमें तो हर कदम पर, ग़मों का ज़हर पीना पड़ा है
जीने की चाहत है मगर, घुट घुट कर जीना पड़ा है
दुनिया से जज़्बा ए मोहब्बत ख़त्म हो रहा है अब,
बोलने का हक़ है मगर, इन होठों को सीना पड़ा है
लोगों को #मोहब्बत नहीं अपनी दौलत पर घमंड है,
मगर हमें तो ख़ुदा के, रहमो करम पर जीना पड़ा है
न निभाया साथ उसने भी जिसको कहा था अपना,
हमें तो अपनी #ज़िन्दगी को, तन्हा ही जीना पड़ा है
उम्र के इस पड़ाव पर भी लगता है डर मुझको यारो,
सताते हैं वो अफ़साने, जिसका किरदार जीना पड़ा है
कैसे जियें, ये दर्दे दिल मुस्कराने नहीं देता,
कोई, ज़ज़्बात ए #मोहब्बत निभाने नहीं देता !
बिछा देता है राह में हज़ार कांटे ये जमाना,
वो कभी भी, खुशियों के पल आने नहीं देता !
पीछे खींचने की फितरत है हर आदमी की,
यहां किसी को भी कोई, आगे जाने नहीं देता !
कैसे लिख सकें हम खुशियों के तराने,
जब #दिल, खुशनुमा अल्फ़ाज़ बनाने नहीं देता !