ये दिल हमारा इस कदर, यूं फटा न होता
अगर ये अपनों के फेर में, यूं फंसा न होता
कुछ तो कुसूर है अपना पिछले जनम का,
वर्ना #नसीब अपना धूल से, यूं पटा न होता
जीत जाता हर कोई ज़िंदगी की जंग यारो,
गर #ज़िन्दगी में अहम का, यूं नशा न होता
किस कदर घुस कर दिलों में मारते हैं लोग,
अगर जान जाते पहले से, यूं हादसा न होता
आफतों ने ज़िन्दगी को, इस कदर तोड़ दिया
कि ज़माने ने चाहा जिधर, उसे उधर मोड़ दिया
मतलब था जब तलक साथ निभाते रहे लोग,
जब मतलब निकल गया, तो अकेला छोड़ दिया
जानता हूँ ऐसे लोगों को बड़े ही करीब से मैं, कि
अपनी गलतियों का ठीकरा, औरों पे फोड़ दिया
यही तो दस्तूर है अब इस जमाने का दोस्तो, कि
न बना पाये घर अपना, तो औरों का तोड़ दिया...
अब तो #दिल भी क्या है एक खिलौना है बस,
जब तक चाहा खेला, जब चाहा उसको तोड़ दिया...
ना पूछिये कि ये ज़िन्दगी कैसे गुज़री
हमारी वो सहर ओ शाम कैसे गुज़री
मुद्दत गुज़र गयी यूं डूबते उछलते
ये तो दिल जानता है कि कैसे गुज़री
जो थे अपने गैरों से बदतर निकले
सोचो सितारों के बिन रात कैसे गुज़री #मंज़िल तो थी मगर रस्ते न थे खाली
न पूछो कटीली वो रास्ता कैसे गुज़री
उम्र का ढलान है यादें ही यादें हैं
अब क्यों मरें सोच कर कि कैसे गुज़री !!!
Wo muskura rahe hain, humein tanha chod kar,
Kiye hue sare vado ko tod kar...
Unke siva kahin Dil lagta bhi nahi,
Ab kya karenge hum apne Dil ko jod kar !!!
अपने बदनसीब का, मुझको गिला कुछ भी नहीं
पर मुश्किलों के सिवा, मुझको मिला कुछ भी नहीं
हीरे मोतियों में खेलने की चाहत न थी मेरी कभी,
पर मेरे सब्र का सिला, मुझको मिला कुछ भी नहीं
अब तो यूं ही खुश रहना सीख लिया है मैंने यारो,
हमेशा ग़मों में खो कर, मुझको मिला कुछ भी नहीं
अपनों की बेरुखी से दम घुटने लगा है अब,
उठाये नाज़ सबके मगर, मुझको मिला कुछ भी नहीं