हमसे नफरतों का बोझ अब सहा नहीं जाता
हमसे अपनों के फरेबों में अब रहा नहीं जाता
भुगती है उम्र भर बद गुमानियाँ लोगों की
हमसे किसी का मिज़ाज़ अब सहा नहीं जाता
एक मुद्दत गुज़र गयी उजाले की तलाश में
हमसे अंधेरों का ये मंज़र अब सहा नहीं जाता
कैसे जी लेते हैं लोग दुनिया में अकेले अकेले
हमसे तन्हाइयों में रहना अब सहा नहीं जाता
मनाते रहे ताजिंदगी हम रूठे हुओं को ,
हमसे किसी का यूं रूठना अब सहा नहीं जाता...
यारो पत्थर दिलों से, कभी प्यार मत मांगो
अपने जिगर के लिए, पैनी कटार मत मांगो
जीना है गर प्यार से तो तन्हा जीलो मगर,
किसी के साथ जीने का, इख्तियार मत मांगो
न झेल पाओगे तुम इस #मोहब्बत के झटके,
तुम अपनी ज़िन्दगी का, खरीदार मत मांगो
कभी खिज़ाओं में बहार नहीं आती है, #गुलशन के काँटों से, फूलों सा प्यार मत मांगो
जो था कभी अपना, वो तो रिश्ता ही तोड़ गया
जो था सफर का साथी, वो #तन्हा ही छोड़ गया
जो ढूढ़ता था बहाना हमसे मिलने का हर दम,
वो बेवफा तो, इस शहर का रस्ता ही छोड़ गया
वक़्त के साथ देखो कैसे रंग बदलती है दुनिया,
आहिस्ता से #यार भी, हमें तरसता ही छोड़ गया
जो खुश हो के मिलता था कभी हमसे भी,
वो भी बुरे दौर में, हम को तड़पता ही छोड़ गया..
हमने एक दूसरे से जब वफ़ा करनी चाही थी
तब ज़िन्दगी हम दोनों से बेवफाई कर गयी
एक दूजे से अलग हो के कुछ ना रह गया था
बस यादें ही थी जो चोटों की भरपाई कर गयी
कभी ना खुश रहे पाएंगे ऐसा काम ये #जुदाई कर गयी
जिस शख्स में हमदर्द तलाशती हैं मेरी नज़रें
वो ही क्यूँ दर्द बाँट जाता है ?
जिसकी राहों में पलकें बिछाता हूँ रोज़
वो ही मेरी राहों से कदम चुराता है
मुझे तो उसके सिवा कुछ याद ही नहीं
फिर क्यूँ उसके लिए #गुमनाम हूँ मैं ?
तुझमे मेरी पहचान ढूंढता
मगर खुद से अनजान हूँ मैं...