खुशियों का दुश्मन, जमाना क्यों बन बैठा !
जिसको भी चाहा, वही बेगाना क्यों बन बैठा !
रहता है कश्मकश में ज़िन्दगी का हर लम्हां,
ये #जीवन यादों का, #सफरनामा क्यों बन बैठा ! #ज़िंदगी की किताब के बचे हैं आखिरी पन्नें,
उनका पढ़ना भी, एक फ़साना क्यों बन बैठा !
देखा था #ख़्वाब हमने भी हसीन ज़िन्दगी का,
मगर मरना ही, जीने का बहाना क्यों बन बैठा !
Kabhi Usne Bhi Humein #Chahat Ka Paigam Likha Tha,
Sab Kuch Usne Apna Hamare Naam Likha Tha,
Suna Hai Aaj Unko Hamare Zikar Se Bhi Nafrat Hai,
Jisne Kabhi Apne Dil Par Hamara Naam Likha Tha !!!
हमने तो हर वक़्त, तेरी हर बात मानी थी
तुमने दिन को रात कहा, तो रात मानी थी !
मैं क्या हूँ तेरी नज़र में ये तो ख़ुदा जाने,
मैंने तो तुम्हें, #ख़ुदा की दी सौगात मानी थी !
शरीर मेरा है पर रूह बसती है तेरी इसमें,
तेरी हर सांस मैंने, अपनी ही सांस मानी थी !
तू न समझे इसे तो फूटी किस्मत है मेरी,
वर्ना ख़ुदा से भी ज्यादा, तेरी बात मानी थी !
कभी सोचना #दिल पे हाथ रख कर,
कि ये सच था या फिर, ज़रा भी बेईमानी थी !
तुम्हे ना कभी भूल पाएंगे
मरके तो क्या अगले जनम
में भी तुम्हे ना भूल पाएंगे
बस एक तुम्हे पाने के लिए
मौत के झूले में हम झूल जायेंगे
आ जाये मौत या आ जाओ तुम
कोई भी आये खुशी से फूल जायेंगे...