उसका अक्स दिल से, अब तक न हटाया हमने,
ज़ालिम बेवफ़ा को, अब तक ना भुलाया हमने !
जलाया था उसने ही कभी मोहब्बत का दीया,
वो जल रहा है यूं ही, अब तक न बुझाया हमने !
लम्बी फेहरिस्त है उसकी जफ़ाओं की दोस्तो,
लेकिन ज़िगर उसका, अब तक न दुखाया हमने !
बहुत चोट खायी है इस नादान दिल ने मगर,
उसे अपने ज़ख्मों को, अब तक न दिखाया हमने !
ये जो दुनिया है ये तो बस मज़े लेती है दोस्त ,
हवा को भी अपना ग़म, अब तक न बताया हमने !
इससे पहले कि सनम, बेवफा हो जाएँ,
क्यों न उनकी ज़िंदगी से, जुदा हो जाएँ !
गर ख़ुशी मिलती है उन्हें हमारे बिना ही,
क्यों न उनके दिल से हम, दफ़ा हो जाएँ !
क्या होगा अब आगे ये है उनकी ज़िंदगी,
क्या मालुम कल वो खुद ही, ख़ुदा हो जाएँ !
सोचता हूँ छोड़ दूँ इस अजनबी शहर को,
कहीं फिर से न मुझ पे वो, खफा हो जाएँ !
बड़ी अजीब चीज़ है ये #मोहब्बत भी ,
क्यों न सब कुछ भूल कर, बेवफा हो जाएँ !
कभी आएगा वक़्त कुछ ऐसा भी, ये कभी सोचा न था,
हमसे चला जाएगा वो बिन मिले, ये कभी सोचा न था !
चाहता तो गुज़र सकता था मैं भी कभी उधर से मगर,
यूं बदल जाऊंगा इस क़दर मैं भी, ये कभी सोचा न था !
मज़बूर था कि बढ़ाई दूरियां उसने ही तो क्या करता,
हो जायेंगे कभी अजनबी हम भी, ये कभी सोचा न था !
वक़्त था कि दौड़ पड़ते थे उनकी आमद की सुन कर,
बदल जाएगा इस कदर सब कुछ, ये कभी सोचा न था !
सच है दोस्त कि याद जाती नहीं उनकी कभी दिल से,
मगर कुछ इस तरह होंगे जुदा हम, ये कभी सोचा न था !
मज़ाक लगता है लोगों को, अब तो मेरा रोना भी,
सबसे बड़ी खता है मेरी, मेरा बदनसीब होना भी ! #दिल चीर कर रख दो मगर किसी को गम नहीं,
ये इक तरह की मौत है, अपना सम्मान खोना भी !
चढ़ा हो किसी की आँखों पे जब अहम का चश्मा,
लगता है कुछ अजीब सा, उसका मुख सलोना भी !
बिखर जाता है आदमी जब टूटता है उसका यक़ीं,
न होता उसे मयस्सर, वीरान रातों में खुद सोना भी !
बड़ी ही शिद्दत से रिश्ता, उनसे निभाया हमने,
उनके हर दर्द को, अपने #दिल से लगाया हमने !
उनकी ख़ुशी से खुश होता रहा दिल मेरा भी,
सदा ग़म की घडी में, अपना दिल जलाया हमने !
कट गयी सारी #ज़िन्दगी उनकी ही जी हुज़ूरी में,
मगर खुद के लिए, हवाओं में महल बनाया हमने !
अफ़सोस कि वो तो निकले गैरों से भी बदतर,
जिसे कि ज़िन्दगी भर, अपना ख़ास बताया हमने !
एक लम्हा भी न आया कि हम भी हंस लेते कभी,
इस जीवन को बस फ़िज़ूल, दोज़ख बनाया हमने !