अपनी तो ज़िन्दगी का, बस फ़साना बन चुका है,
था दिल के क़रीब जो भी, वो बेगाना बन चुका है !
ये #चेहरे की मुस्कान तो बस दिखावा है यारो,
वरना तो दिल का हर कोना, अंजाना बन चुका है ! #ज़िन्दगी के सफर में न दौड़ पाए तेजी से यारो,
हम तो रह गए अकेले, आगे ज़माना निकल चुका है !
न समझ पाए हम तो दुनिया का ये गोरख धंधा,
रास्ते तो वही हैं मगर, अब आना जाना बदल चुका है !
सच्चाई और नेकी तो छूट गए बहुत पीछे दोस्तो,
हम से आगे मक्कारियों का, कारखाना निकल चुका है !
बिसरी यादों को दिल से, हम निकलने नहीं देंगे,
सताए कितना भी ये दिल, हम मचलने नहीं देंगे !
भले ही भर जाये मेरा #दिल ज़फाओं के ज़ख्मों से,
मगर अपनी जुबाँ से आह, हम निकलने नहीं देंगे !
चाहे कितना भी ज़ोर डालें ये ज़माने की साजिशें,
दिल से #मोहब्बत का जज़्बा, हम सिमटने नहीं देंगे !
ज़िन्दगी का जीना कोई खेल तमाशा नहीं दोस्तो,
इसे मनहूसियत के लबादे में, हम लिपटने नहीं देंगे !
बड़े ही अजीब हैं ज़िन्दगी के ताने बाने भी दोस्त,
मगर अपना भी वादा है कि, हम उलझने नहीं देंगे !
निगाहों को न जाने किसकी तलाश है,
रात दिन उसको ही पाने की प्यास है !
न कोई नाता न कोई रिश्ता है उससे ,
फिर भी अपनेपन का इक अहसास है !
चाहने वाले हमारे भी कम नहीं यारो,
पर दिल को उसकी चाहत ही खास है !
सूना पड़ा है अब दिल का आइना दोस्त,
ज़िगर का हर कोना उदास ही उदास है !
हमें तो दिल लगाने के, अब लायक न छोड़ा,
दिल को और ग़म उठाने के, लायक न छोड़ा !
कुछ इस क़दर ज़ुल्म ढाये हैं अय ज़िंदगी तूने,
कि हमें तो मुस्कराने के, अब लायक न छोड़ा !
कभी बहुत रसूक था अपना भी जमाने में मगर,
बद वक़्त ने नज़र मिलाने के, लायक न छोड़ा !
अब तो आती है हंसी हमें अपने झूठे गुरूर पर,
ख़ुदाया ख़ुद को ही जमाने के, लायक न छोड़ा !
फ़ितरतों ने ऐसा खिलाया गुल अपनों के साथ,
कि हमें फिर से दिल मिलाने के, लायक न छोड़ा !
बस तमाम उम्र, गलती यही वो करता रहा,
औरों की गलतियां, अपने सर वो धरता रहा !
लिए फिरता रहा भले ही धूल चेहरे पे अपने,
मगर औरों के चेहरों को, साफ़ वो करता रहा !
न देखी खुशियां कभी उसके चेहरे पर हमने,
जाने कितनों के ग़म, दिल में वो भरता रहा !
अफ़सोस कि न दिया किसी ने साथ उसका,
खुद के लिए दुनिया से, अकेला वो लड़ता रहा !
तारीफ़ में शब्द भी बोनें नज़र आते है,
दगा के बाद भी, भला औरों का वो करता रहा !