Tum Bhi Mohabbat Karna Sikho
गर चाहो तुम्हारी सब बात सुनें, तो औरों की बातें सुनना सीखो
गर सबकी चाहत बनना चाहो, तो औरों से मोहब्बत करना सीखो
हर कोई तुम्हारा अपना होगा,
पर मन में भरी कटुता को त्याग, औरों की मदद करना सीखो
गर चाहो तुम्हारी सब बात सुनें, तो औरों की बातें सुनना सीखो
गर सबकी चाहत बनना चाहो, तो औरों से मोहब्बत करना सीखो
हर कोई तुम्हारा अपना होगा,
पर मन में भरी कटुता को त्याग, औरों की मदद करना सीखो
अब लोग किसी के ग़म को, सहलाने नहीं आते
और तो और अब वे दिखावा भी, करने नहीं आते
अपने फूस के घरों में, दीपक न जलाईये
आज कल आग बुझाने, सगे भाई भी नहीं आते
बाधा तो एक चुनौती है, स्वीकारो, डरने का कोई काम नहीं
बार बार प्रयास करो, सफल बनो, रुकने का कोई काम नहीं
उत्साह भरो उस चींटी जैसा, जो गिर गिर कर चढ़ती रहती है
आखिर बाधाओं को पीछे छोड़, मंज़िल पर पहुंच कर रहती है
वो औरत है जिसने हमको, दुनिया में लाने का काम किया
वो औरत ही है जिसने हमको, भाई होने का सौभाग्य दिया
भूखे पेट सो गयी माता, पर हमको तो भर पेट खिलाया
रात रात भर जागी मां, पर लोरी गा गा कर हमें सुलाया
इस पूज्यनीय औरत ने ही, सम्पूर्ण सृष्टि का सृजन किया
वो ना होती तो कुछ ना होता, इस दुनिया पर अहसान किया
ये औरत ही किसी की भगिनी है,औरत ही किसी की पत्नी है
ये औरत ही मां की ममता है, ये औरत ही किसी की बेटी है
ममता की मूरत इस नारी ने, हमको जीवन का संदेश दिया
नफ़रत, गुलामी,जुल्मो सितम, ना सहने का अनुदेश दिया
कुछ पापी, दुष्ट, दुराचारी, इसकी महिमा को भूल गए
उसके सम्मान को तार तार कर, अपनी मर्यादा भूल गए
किसी ने इसकी अस्मत लूटी,किसी ने जला कर मार दिया
कुछ पापी मां बापों ने, इसे बस्तु समझकर बेच दिया
इस उपकार के बदले में ,औरत को तो कुछ भी न मिला
भूखे रहना, खून पिलाना, इस ममता को कैसा सिला मिला
इस बार की सर्दियों में
ऐसा न होने पाए ...
चढ़ती रहें चादरें मज़ार पर
और
बाहर बैठा फ़क़ीर ठंड से मर जाए ...