वो यूं ही ज़िंदगी भर, दिल दुखाते रहे,
वो हर तरह, मेरी मुश्किलें बढ़ाते रहे !
दुश्मनों के हाथों में देखे खंज़र मगर,
वार, अपनों की तरफ से ही आते रहे !
नींद आती तो देख लेते ख्वाब हम भी,
पर सितारे, आसमां से मुंह चिढाते रहे !
फेर लिया अपनों ने मुंह सदा के लिए,
मगर गैर आकर, मेरा दिल लगाते रहे !
न आयी याद उनकी कभी भी "मिश्र",
मगर फरेब उनके, सदा याद आते रहे !
आया बुरा वक़्त, तो अपनों ने साथ छोड़ा,
आयी जब रात, तो ख्वाबों ने साथ छोड़ा !
वादा किया था ताउम्र साथ देने का उसने,
मगर देखे हालात, तो उसने भी साथ छोड़ा !
ग़मों के दरिया में न दिखती कोई कश्ती,
आया इक सैलाब, तो किनारों ने साथ छोड़ा !
लिखा है रोना ही अपने तो मुकद्दर में,
तमन्ना है जीने की, तो साँसों ने साथ छोड़ा !!!
दर्द दुनिया के हमने, सीने में छुपा रखे हैं ,
मगर चेहरे पे, ख़ुशी के मुखौटे लगा रखे हैं !
क्या मिलेगा तमाशा दिखा कर औरों को,
हमने तो दामन में, हर ज़ख्म छुपा रखे हैं!
ये #ज़िन्दगी का सफर तो लाज़िम है दोस्तो,
बस राहों के लिए, कुछ तज़ुर्बे बचा रखे हैं!
कैसे जीते थे लोग कभी हज़ारों साल तक,
अपनी छोटी सी, ज़िंदगी ने नाच नचा रखे हैं !
होठ सीं रखे हैं दोस्त जमाने ने हमारे तो,
अलबत्ता हमने भी, बातों के तीर सजा रखे हैं !!!
न कोई भी रिश्ता, दिल ❤ के करीब निकला,
जो भी निकला, वो दिल का गरीब निकला !
बहुत चाहा कि मुस्कराये खुशियों का गुल,
मगर खारों में जीना, अपना नसीब निकला !
कभी चाहा था टूट कर जिसको इस #दिल ने 💔 ,
तोड़ा दिल उसी ने, वो इतना ज़लील निकला !
बड़े ही अजीब रंग हैं इस दुनिया के दोस्तो,
समझा जिसे अपना, गैरों का अज़ीज़ निकला !
तुम तो बहुत खुश हो दुनिया में आ के दोस्त,
मगर अपना तो ये #नसीब, बदनसीब निकला ! 😞
न करते यक़ीं सब पर, तो फ़साने कुछ और होते ,
न चुभते तीर अपनों के, तो फ़साने कुछ और होते !
तड़पता रहा ये दिल, न जाने किस किस के किये
न होती गर ये मोहब्बतें ,तो फ़साने कुछ और होते !
इस दौलत की चाहत में, हैवान बन गया ये आदमी
न गिरता इंसान गर इतना, तो फ़साने कुछ और होते !
यारो बजाते रहे हम ढपलियाँ, बस अपने ही राग में
गर मिलती ताल आपस में, तो फ़साने कुछ और होते !
उलझे रहे हमतो बस, इन मुश्किलों के जाल में दोस्त
गर न होते ख़ार गुलशन में, तो फ़साने कुछ और होते !!!