हमें कुछ उलझी बातो को
जहन मे ही दफन करना होता है
लेकिन इंसान जज़्बातो को ही दफन कर देता है,
यु तो बोला #प्यार मे तुझे ख़ुश रखेंगे
उस दिन का #इंतज़ार आज भी करते है !!
आँखों से ख़ुशी तो नज़र आ जाती है
पर जब #दिल से रोये तो
दिल की नज़र ने भी आँखे बंद कर ली,
तेरे हाल पर तुझे छोड़ दिया था ताकि
मेरे हाल को तू देख भी न सके !!!
मेरी शराफ़त ने ही, मुझको बर्बाद कर दिया,
अपना घर फूंक, औरों का आबाद कर दिया !
बड़ा ही घमंड पाल रखा था अपने खून पे मैंने,
उसने आज रिश्तों से, मुझे आज़ाद कर दिया !
अफ़सोस, कि खून भी मतलब परस्त हो गया,
मतलब निकलते ही, रिश्तों को हलाल कर दिया !
हम तो निभाते रहे बस बड़प्पन का लिहाज़ दोस्तो,
पर उसने अपना ज़मीर, समझो खाक कर दिया !
समझते रहे जिसको अपना ही सब कुछ हम,
उसने ही मेरी सख़्शियत को, बदहाल कर दिया !!!
जैसे कि रंग पहले थे, न दिख रहे हैं आजकल,
सितारे वो चाहत के, न दिख रहे हैं आजकल !
यहाँ तो कांटे ही नज़र आते हैं इधर गुलशन में,
अब फूलों भरे वो गोशे, न दिख रहे हैं आजकल ! #ज़िन्दगी के सफर में हमें रोज़ मिलते थे कभी वो,
अब #मुस्कान भरे चेहरे, न दिख रहे हैं आजकल !
क्या हुआ है मेरे अज़ीज़ों की महफिलों को दोस्तो,
अब कहकहों के सुर भी, न दिख रहे हैं आजकल !
हमसे न पूँछिये इस पुराने #दिल के हालात दोस्तो,
उसे तो अपनों के साये भी, न दिख रहे हैं आजकल !
दिल की हरकतें, जुबां पे आने लगी हैं धीरे धीरे,
अब अंदर से हसरतें, मुस्कराने लगी हैं धीरे धीरे !
बहुत जी लिए घुट घुट के अब मुश्किल है दोस्तो,
अपनों की शरारतें, दिल दुखाने लगी हैं धीरे धीरे !
हर जज़्बात को जुबां पर लाना मुश्किल है यारो,
मगर #दिल की तरंगें, सुगबुगाने लगी हैं धीरे धीरे !
वक़्त ए सलामती न पहचान आया अपना पराया,
अब लोगों की फितरतें, समझ आने लगी हैं धीरे धीरे !
नज़दीक रह कर भी, तू जुदा सी लगती है !
हर वक़्त जाने क्यों, तू खफा सी लगती है ! #ज़िन्दगी न आया समझ हमें तेरा फ़लसफ़ा,
कभी हमसफ़र तो कभी, सजा सी लगती है !
हर #लम्हा गुज़ारा है इस कशमकश में हमने,
कि तू वफ़ा की आड़ में, ज़फ़ा सी लगती है !
न जाने कितने रंग देखे हैं इन आँखों ने तेरे,
मगर हर ढंग में हमेशा, तू जुदा सी लगती है !
न समझ पाए हम कि क्या है ज़िन्दगी यारो,
कभी तो दुश्मन तो कभी, ख़ुदा सी लगती है !!!