ज़िंदगी तो वीरान है, और बस कुछ भी नहीं
यूं धड़कनें ही शेष है, और बस कुछ भी नहीं
दुनिया के अजब चक्र में फंस गया हूँ मैं यारो,
इतना सा फसाना है, और बस कुछ भी नहीं
कोई ख्वाहिश न बची कुछ भी पाने की अब,
ज़रा सा प्यार चाहिये, और बस कुछ भी नहीं
ज़िंदगी के सफर में कांटों की कमी नहीं यारो,
अकेला ही चलूँगा मैं, और बस कुछ भी नहीं
मिलाया था हाथ जिनसे अपना समझ कर,
उसने ही दिया धोखा, और बस कुछ भी नहीं
अपनो से ज्यादा तो गैरों ने समझा मुझे,
दूर की सलाम काफी है, और बस कुछ भी नहीं...