एक ज़िन्दगी थी, वो भी तन्हा हो गयी
जीने की #तमन्ना, न जाने कहाँ खो गयी
#दिल था अपना वो भी बे वफ़ा हो गया,
मुकद्दर की कुंजी, न जाने कहाँ खो गयी
ख़त्म हो गयीं दिल की तमाम ख्वाहिशें,
देखते ही देखते, #ज़िंदगी की शाम हो गयी
कल देखा था #ख़्वाब हमने हसीन कल का,
पर कल की तो हर बात ही, बेजुबाँ हो गयी
सीखा था हमने भी जीने का तरन्नुम,
मगर सुरों की ताज़गी, न जाने कहाँ खो गयी...