हज़ारों शिकवे हैं ज़िन्दगी से,
किसी और से क्या शिकवा करें,
ग़म इतने रास आने लगे अब,
किसी और से ज़िकर क्या करें...
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हज़ारों शिकवे हैं ज़िन्दगी से,
किसी और से क्या शिकवा करें,
ग़म इतने रास आने लगे अब,
किसी और से ज़िकर क्या करें...