न पूछो कि ज़िन्दगी ने, कितना रुलाया हमको,
कैसे खास अपनों ने, जी भर के सताया हमको !
हमने तो की #मोहब्बत बे इंतिहां सब से मगर,
यारों ने फूल बता कर, काँटों पे चलाया हमको !
छलों व प्रपंचों की दुनिया में जी तो लिए मगर,
लोगों के गिरे ज़मीर ने, ताउम्र सताया हमको !
कैसे बदल लेते हैं लोग रंग गिरगिट की तरह,
इस मतलबी जमाने ने, हर रंग दिखाया हमको !
क्या करें मज़बूर हैं हम अपनी फ़ितरत से,
न जाने इस आदत ने, कब कब रुलाया हमको !!!

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