जिन्दगी की राह में गम का उजाला आता क्यूँ है
जिसको चाहो वही रुलाता क्यूँ है
किये हुए सारे वादे यूँ भुलाता क्यूँ है
अपनेपन का एहसास दिलाता क्यूँ है,
फिर अजनबी सा करके चला जाता क्यूँ है.
जब रुलाना ही था तो फिर हसाता क्यूँ है...
जिन्दगी की राह में गम का उजाला आता क्यूँ है
जिसको चाहो वही रुलाता क्यूँ है
किये हुए सारे वादे यूँ भुलाता क्यूँ है
अपनेपन का एहसास दिलाता क्यूँ है,
फिर अजनबी सा करके चला जाता क्यूँ है.
जब रुलाना ही था तो फिर हसाता क्यूँ है...