गर गुलिश्तां है जिंदगी, तो इसकी मंज़िल श्मशान क्यों है
बिछड़ना ही है अगर प्यार में, तो वो इतना हैरान क्यों है
गर जीना है मरने के लिये, तो फिर जिंदगी वरदान क्यों है
अजनबी से क्यों होजाता है प्यार, दिल इतना नादान क्यों है
इस सच को सब जानते हैं लेकिन फिर भी परेशान क्यों हैं
गुलशन में कभी तो फिज़ां आयेगी "मिश्र" इतना हैरान क्यों हैं