बिसरी यादों को दिल से, हम निकलने नहीं देंगे,
सताए कितना भी ये दिल, हम मचलने नहीं देंगे !
भले ही भर जाये मेरा #दिल ज़फाओं के ज़ख्मों से,
मगर अपनी जुबाँ से आह, हम निकलने नहीं देंगे !
चाहे कितना भी ज़ोर डालें ये ज़माने की साजिशें,
दिल से #मोहब्बत का जज़्बा, हम सिमटने नहीं देंगे !
ज़िन्दगी का जीना कोई खेल तमाशा नहीं दोस्तो,
इसे मनहूसियत के लबादे में, हम लिपटने नहीं देंगे !
बड़े ही अजीब हैं ज़िन्दगी के ताने बाने भी दोस्त,
मगर अपना भी वादा है कि, हम उलझने नहीं देंगे !