नज़दीक रह कर भी, तू जुदा सी लगती है !
हर वक़्त जाने क्यों, तू खफा सी लगती है !
#ज़िन्दगी न आया समझ हमें तेरा फ़लसफ़ा,
कभी हमसफ़र तो कभी, सजा सी लगती है !
हर #लम्हा गुज़ारा है इस कशमकश में हमने,
कि तू वफ़ा की आड़ में, ज़फ़ा सी लगती है !
न जाने कितने रंग देखे हैं इन आँखों ने तेरे,
मगर हर ढंग में हमेशा, तू जुदा सी लगती है !
न समझ पाए हम कि क्या है ज़िन्दगी यारो,
कभी तो दुश्मन तो कभी, ख़ुदा सी लगती है !!!