कुछ देखा हुआ सा, कुछ परखा हुआ सा लगता है,
ज़िन्दगी का हर सवाल, उलझा हुआ सा लगता है !
बढ़ जाती हैं बेचैनियां कभी कभी इस कदर दोस्तो,
कि दिल का कोई टुकड़ा, खोया हुआ सा लगता है !
बनाया था जो हमने कभी महल सपनों का जतन से,
कभी कभी बस यूं ही हमें, बिखरा हुआ सा लगता है !
न रहीं वो महफ़िलें न रहीं वो दोस्तों की ठिठोलियाँ,
#ज़िन्दगी का हर कदम, मुझे ठहरा हुआ सा लगता है !
वक़्त का सितम बदल देता है# नसीब कुछ इस तरह ,
कि हर तरफ ग़मों का धुआं, गहरा हुआ सा लगता है !