अपनी तो ज़िन्दगी का, बस फ़साना बन चुका है,
था दिल के क़रीब जो भी, वो बेगाना बन चुका है !
ये #चेहरे की मुस्कान तो बस दिखावा है यारो,
वरना तो दिल का हर कोना, अंजाना बन चुका है !
#ज़िन्दगी के सफर में न दौड़ पाए तेजी से यारो,
हम तो रह गए अकेले, आगे ज़माना निकल चुका है !
न समझ पाए हम तो दुनिया का ये गोरख धंधा,
रास्ते तो वही हैं मगर, अब आना जाना बदल चुका है !
सच्चाई और नेकी तो छूट गए बहुत पीछे दोस्तो,
हम से आगे मक्कारियों का, कारखाना निकल चुका है !