पुरानी #यादों को, सजाने में क्या रखा है
सूखे ज़ख्मों को, सहलाने में क्या रखा है
बना दिया तमाशा #मोहब्बत ने हमारा,
यादों के बिन, तन्हाइयों में क्या रखा है
भले ही राहें साफ़ हों उधर जाने की मगर,
अब बुतों से, #दिल लगाने में क्या रखा है
दिल नहीं जानता कि रिश्ते टूट जाते हैं,
अब इस तरह, अश्क बहाने में क्या रखा है
हमने तो सजा ली हैं नकली मुस्कराहटें,
अब किसी को, ग़म दिखाने में क्या रखा है
क्या सुनाएँ कहानी का अंजाम किसी को,
अब किसी का, दिल दुखाने में क्या रखा है
#ज़िन्दगी बिखर गयी तिनका तिनका "मिश्र",
आखिर उसे, फिर से बनाने में क्या रखा है....

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