ज़िंदगी तो बेसुरा, एक राग बन गयी,
जीने की तमन्ना, अब राख बन गयी !
हम हम न रहे तुम तुम न रहे दोस्त,
वो अधूरी दास्तां, बस याद बन गयी !
#मोहब्बत के चराग बुझ चुके कब के,
वो चाहत अंधेरों की, सौगात बन गयी !
न आएँगी बहारें अब लौट कर कभी,
ज़िन्दगी सूखा हुआ सा, पात बन गयी !
मांगेंगे लोग तो क्या जवाब दोगे दोस्त,
क्यों अच्छी भली बात, बेबात बन गयी !!!

Leave a Comment