क्यों ख्वाहिश पाल रखी है किसी का प्यार पाने की
मत भूलो कि बड़ी ज़ालिम नज़र है इस जमाने की
क्यों न उस मुकाम पर पहुंचा दो अपने आपको
कि ये जमाना भी खुद ख्वाहिश रखे तुम्हें पाने की
क्यों ख्वाहिश पाल रखी है किसी का प्यार पाने की
मत भूलो कि बड़ी ज़ालिम नज़र है इस जमाने की
क्यों न उस मुकाम पर पहुंचा दो अपने आपको
कि ये जमाना भी खुद ख्वाहिश रखे तुम्हें पाने की