आफतों ने ज़िन्दगी को, इस कदर तोड़ दिया
कि ज़माने ने चाहा जिधर, उसे उधर मोड़ दिया
मतलब था जब तलक साथ निभाते रहे लोग,
जब मतलब निकल गया, तो अकेला छोड़ दिया
जानता हूँ ऐसे लोगों को बड़े ही करीब से मैं, कि
अपनी गलतियों का ठीकरा, औरों पे फोड़ दिया
यही तो दस्तूर है अब इस जमाने का दोस्तो, कि
न बना पाये घर अपना, तो औरों का तोड़ दिया...
अब तो #दिल भी क्या है एक खिलौना है बस,
जब तक चाहा खेला, जब चाहा उसको तोड़ दिया...