जो था कभी अपना, वो तो रिश्ता ही तोड़ गया
जो था सफर का साथी, वो #तन्हा ही छोड़ गया
जो ढूढ़ता था बहाना हमसे मिलने का हर दम,
वो बेवफा तो, इस शहर का रस्ता ही छोड़ गया
वक़्त के साथ देखो कैसे रंग बदलती है दुनिया,
आहिस्ता से #यार भी, हमें तरसता ही छोड़ गया
जो खुश हो के मिलता था कभी हमसे भी,
वो भी बुरे दौर में, हम को तड़पता ही छोड़ गया..

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