दिल के तूफ़ान को, होठों तक ज़रा आने तो दीजिये,
ग़मों के काले बादलों को, दूर ज़रा जाने तो दीजिये !
दुखाया है #दिल हमारा इन बेकार के जज़्बातों ने ही,
अब दिलों की कालिखों को, ज़रा मिटाने तो दीजिये !
ज़िगर में लगे ज़ख्मों को यूं नासूर न बनने दो दोस्त,
हाज़िर हैं हम आज भी, मरहम ज़रा लगाने तो दीजिये !
खुदा के वास्ते मिटा दो वो पुरानी बदरंग यादें,
नए रंगों से हम को रंगोलियां, ज़रा सजाने तो दीजिये !