कभी #दूर तो #कभी यूँ #पास आने लगा है,
देखिए दोस्तों फिर मुझे वो #आज़माने लगा है....
था नहीं #व़क्त पास #उसके...
फिर क्यूँ वो #पास आने लगा है....
ज़हन में जिसके थी #नफ़रत.....
फिर #क्यूँ वो मुझे #चाहने लगा है...
अजीब दास्ताँ है मेरे मुकद्दर की #यारों...
एक #अज़नबी को #जिन्दगी वो #बनाने लगा है...