मैंने तो समझा कि, दर्द बंटाने आया था,
लगा कि दुःख में, साथ निभाने आया था !
दिखाए थे ज़ख्म सारे मरहम की आस में,
पर वो #बेवफा तो, नमक लगाने आया था !
चढ़ा दिया हमको बिना पतवार कश्ती पर,
और हम समझे कि, पार लगाने आया था !
पानी से भरी गागर फोड़ दी उसने यूं ही,
हम समझ बैठे कि, प्यास बुझाने आया था !
न समझ पाए हम इस दुनिया को अब तक,
वो था कि दस्तूर-ए-जफ़ा, निभाने आया था !!!