ज़िन्दगी बिता दी मगर वो मोहब्बत नामिली
अपनों की बेरूखी से हमें कभी फुर्सत ना मिली
बस यूं ही गुज़र गयी ज़िन्दगी भागते दौड़ते
मगर कहीं पे सुकून की हमें वो दौलत न मिली
अफसोस लोगों ने जब कूड़ा समझ लिया तो
दुनिया के बाज़ार में हमें कोई कीमत न मिली
“मिश्र” देखते रहे यूं ही गुज़रे कारवां की गर्द
पर किसी के साथ जाने की वो हिम्मत न मिली