न जाने इस जुबां पे, वो दास्तान किसके हैं,
दिल में मचलते हुए, वो अरमान किसके हैं ?
सोचता हूँ कि खाली है #दिल का हर कोना,
मगर यादों के आखिर, वो तूफ़ान किसके हैं ?
मैं तो खुश हूँ कोई गम नहीं मुझको दोस्तों,
पर दिल में बसे, वो ग़मे अनजान किसके हैं ?
लगता है कि तन्हा ही गुज़र जाएगी #ज़िंदगी,
पर दिल में जो बैठे हैं, वो मेहमान किसके हैं ?
मानता हूँ कि न चला कोई भी साथ दूर तक,
पर सजा रखे हैं, वो साजो सामान किसके हैं ?
दिखता तो ऐसा है कि बस बेख़बर हैं,
पर चेहरे पे उभरे, वो गम के निशान किसके हैं ?
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