डर है कि कहीं वो, बेवफ़ा न हो जाए,
बे-सबब ये #ज़िंदगी, तबाह न हो जाए !
वो तो बेख़बर है दुनिया की चालों से,
फंस कर कहीं वो, गुमराह न हो जाए !
फ़ितरत बदलते नहीं लगती देर यारो,
गलती से कहीं उससे, गुनाह न हो जाए !
#दोस्ती का भरोसा भी न रहा आज कल,
कहीं #प्यार किसी से, बेपनाह न हो जाए !
सोचते रहिये दोस्त बस ये बेतुकी बातें,
कहीं दिमाग़ तेरा भी, ख़राब न हो जाए !!!