वक़्त का क्या पता, कौन सा वो ग़ुल खिला दे
आज जो ऊँचा खड़ा है, कल उसे धरती दिखा दे
वक़्त की कनीज़ है हर चीज दुनिया की,
जब चाहे ऊपर बिठा दे, जब चाहे नीचे गिरा दे...

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