वक़्त का मरहम, हर ज़ख्म मिटा देता है
वो जमाने से मिला, हर गम भुला देता है
जिनकी याद में महीनों बहाते हैं हम आँसू,
वक़्त अपनी ग़र्द में, उनको भी छुपा देता है
लगता है कि न जी सकेंगे उनके बिना हम,
पर खामखा का वहम भी, वक़्त मिटा देता है
ये आना और जाना तो चलन है दुनिया का,
पर वक़्त का चाबुक हमें, जीना सिखा देता है...