आजकल अजीब सी बेकली से गुज़र रहा हूँ मैं
जो कभी मुंह लगाई थी उसको उगल रहा हूँ मैं
मैंने उसे अपने दिल के हमेशा करीब रखा,
पर वर्षों की पुरानी दोस्ती अब दफना रहा हूँ मैं
जाते जाते भी अपना असर दिखा रही है वो,
तड़प बहुत होती है मगर हिम्मत दिखा रहा हूँ मैं
आज कुछ दिन ही तो गुजरे हैं उसके बिना,
बीमार नहीं हूँ फिर भी बीमार सा लग रहा हूँ मैं
दुआ करो कि फिर न आये याद उसकी मुझे,
उसकी याद मिटाने को हर कदम उठा रहा हूँ मैं...