उनकी चाहतें दिल में समाती चली गयीं
वक़्त की आंधियाँ करीब आती चली गयीं
जब गुलशन में फूलों को मुस्कराते देखा
यादें जो आईं उनकी तो आती चली गयीं
सोचा न था कि ये दिन भी आयेगा कभी
मेरी वीरान रातें मुश्किलें बढ़ाती चली गयीं
क्या अजीब बला हैं ज़िंदगी की राहें यारो
मैं थकता रहा मगर वो दौड़ाती चली गयीं...

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