हम ही शायद ऐसे थे, दिल को न उनके भा सके
उन्होंने बेशक भुला दिया, हम न उनको भुला सके
अब किसको बताएं अपने गम की इंतिहां दोस्तो,
अफसोस अपनी जुबां से, कुछ भी न उनको बता सके
हम पहुंचे थे उनकी महफिल में चाक दिल लेकर,
पर उनकी सौहरत देख कर, हम जुबां भी न हिला सके
वो मग़रूर हैं अपने चाहने वालों के जानिब से,
पर कोई न होगा ऐसा, जो बद वक़्त में साथ निभा सके
दुआ है कि मुबारक़ हों उनको खुशियों जहान की,
एक दिन ज़रूर आएगा, जो उनको आईना दिखा सके...
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