क्यों चले आते हैं लोग, यूं ही जी जलाने के लिए !
कर के खुशियों का वादा, उम्र भर रुलाने के लिए !
खुद ही तो पास आते हैं दिलरुबा बन कर वो तो,
फिर कौन कहता है उन से, दूरियां बढ़ाने के लिए !
निभाते हैं कुछ लोग तो प्यार का बंधन उम्र भर,
पर कुछ लोग बनते हैं मीत, मतलब बनाने के लिए !
क्या जानेगा भला वो अश्कों की कीमत,
आता है जो बाज़ार में, धंधा ज़माने के लिए !

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