तुम्हारे चेहरे पे, रंजो ग़म अच्छे नहीं लगते,
हमको गुलों के संग, खार अच्छे नहीं लगते !
तू कहे तो चले जायेंगे तेरी नगरी से मगर,
इतना भर कह दो, कि हम अच्छे नहीं लगते !
जो कहना है सामने बयां कर दो तो अच्छा,
पीठ पीछे तीर चलाने, हमें अच्छे नहीं लगते !
कभी बेचैन रहते थे जो हमारे दीदार के लिए,
अब तो हमारे साये भी, उन्हें अच्छे नहीं लगते !
ये #ज़िन्दगी हमारी है जी लेंगे जैसे भी ,
मगर लोगों के बीच चर्चे, हमें अच्छे नहीं लगते !
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