कोई मुस्करा के गुज़र जाता है तो तुम याद आती हो
कोई ज़रा सी आहट भी होती है तो तुम याद आती हो
बैठते हैं तन्हा जब यादों में खोये से हम
कोई आता है खुश्बू का झोंका तो तुम याद आती हो
रेशमी दुपट्टा सर पर ओड़ कर सर झुकाये
कोई नाज़नीं गुज़र जाती है तो तुम याद आती हो
जब कोई फूल यूं ही छूते ही गुलशन में
खिलकिलाकर हंस देता है तो तुम याद आती हो
जब ग़मों की भयानक तपिश के आलम में
प्यार क़ी ठंडी हवा बहती है तो तुम याद आती हो
जब रात के अंधेरे में चुपचाप कोई
मेरे कानों में फुसफुसाता है तो तुम याद आती हो