गर कांटे न होते, तो फूल की अहमियत क्या होती
गर दुख न होते, तो सुख की कैफ़ियत क्या होती
एक की तासीर को दूसरे से तौलती है दुनिया,
ये बदबू न होती, तो खुशबू की हैसियत क्या होती
गर कांटे न होते, तो फूल की अहमियत क्या होती
गर दुख न होते, तो सुख की कैफ़ियत क्या होती
एक की तासीर को दूसरे से तौलती है दुनिया,
ये बदबू न होती, तो खुशबू की हैसियत क्या होती