खुद का लिया फैसला, हर व़क्त सही नहीं होता
औरों का दिया मशविरा, हमेशा गलत नहीं होता
औरों के तज़ुर्बे पर थोड़ा तो भरोसा कीजिये,
हर व़क्त अपनी अक़्ल लगाना, सही नहीं होता
खुद का लिया फैसला, हर व़क्त सही नहीं होता
औरों का दिया मशविरा, हमेशा गलत नहीं होता
औरों के तज़ुर्बे पर थोड़ा तो भरोसा कीजिये,
हर व़क्त अपनी अक़्ल लगाना, सही नहीं होता