शीशे का है #दिल, ठोकर मत लगाना मुझको !
बाज़ारे इश्क़ में, तमाशा मत बनाना मुझको !

तुम को रखा है ख्वाबों सा पलकों में सजा के,
बेसबब अपनी नज़रों से, मत गिराना मुझको !

छोड़ कर दुनिया को थामा है तेरा दामन मैंने,
कभी फरेबों के जाल में, मत फ़साना मुझको !

गुज़री है उम्र सारी, जाने कितनी आफतों से
ख़ुदा के वास्ते,अब और मत सताना मुझको !

तमन्ना है कि ख़ुशी से गुजारूं ये ज़िंदगी ,
अब ग़मों की भूली दास्तां, मत सुनाना मुझको !

Leave a Comment