गर मुझे मुकद्दर पे ऐतबार है तो तेरी वजह से
घर का गुलशन गर गुलज़ार है तो तेरी वजह से
आज दुनिया मेरी तलबगार है तो तेरी वजह से
मुझको अपनों से इतना प्यार है तो तेरी वजह से
तू ही बता दे कैसे भुला दूँ तुझको अय मेरे ख़ुदा
आज मेरी रगों में खून बरक़रार है तो तेरी वजह से
जब कभी मैं लड़खड़ाया बस तूने उठाया थाम कर
मेरा खुशियों से भरा ये संसार है तो तेरी वजह से
घायल है आदमी इस दुनिया की ठोकरों से बेशक
मगर फिर भी दिलों में क़रार है तो तेरी वजह से