ख़ुशी न दे सको,तो रुलाओ मत यारो,
गुनाहों को अपने, छुपाओ मत यारो !
ये जो दुनिया है सब जानती है दोस्त,
उसे झूठी कहानी, सुनाओ मत यारो !
देख लो झाँक कर अपना गिरेवां भी,
मुजरिम औरों को, बनाओ मत यारो !
गुनाहों की सजा तो मिल कर रहेगी,
इसे कोई साजिश, बताओ मत यारो !
न देखा चल के कभी सीधी डगर पर,
फिर राहों को दोषी, बताओ मत यारो !
ये दौलत का नशा मुबारक़ हो दोस्त,
पर गरीबों पे रुतबा,जमाओ मत यारो !

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