गरीब दिन भर भटकता है रोटी कमाने के लिये
अमीर तो बस अमीर है
वक्त नहीं है उसके पास रोटी भी खाने के लिये

कोई अपनों के लिये मुँह की रोटी भी छोड़ देता है
पर इस दुनिया को क्या कहें
जहाँ कोई रोटी के लिये अपनों को भी छोड़ देता है

किसी को एक रोटी का टुकड़ा जीवनदान सा दिखता है
पर उन लोगों की क्या बात कहें
जहाँ बचा बचाया घर का भोजन कूड़ेदान में फिकता है :(

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